Saturday 29 September 2012

khawabo ke shahensha


  शेर और मर्द न तो बदसूरत होता और न बूढ़ा...
शिखा श्रीवास्तव
अरे यार! पता है आज मार्केट से आते समय क्या हुआ? थोड़ा सा चिढ़चिढ़ाते हुए आयुषी ने मीनाक्षी से कहा। क्या हुआ इतनी चिढ़ कर क्यों बोल रही हो, किसी ने कुछ कह दिया क्या चुटकी लेते हुए मीनाक्षी ने पूछा। पक्का किसी लड़के ने छेड़ा होगा तुझे है न! तू अपना मुंह बंद रखेगी कि नहीं तब तो मैं कुछ बताऊं  गुस्साते हुए आयुषी बोली। चल ठीक है पता क्या हुआ। आयुषी बोली, तुझे तो पता ही था आॅफिस के बाद मुझे मार्केट जाना था। सो मैं सिविल लाइंस चली गई पहले सोचा था कि आॅफिस से सोना को ले लूंगी, लेकिन उसे किसी काम से घर जल्दी जाना था इस वजह से वह मेरे साथ आ न सकी। खैर मैं छह बजे आॅफिस से निकली और मार्केट पहुंची।
वहां से शॉपिंग कर जब मैं मार्केट से बाहर निकल रही थी, अचानक ऐसे लगा कि कोई मेरा पीछा कर रहा है। मैं पीछे की तरफ मुड़ी तो एक अंकल थे जिनकी उम्र करीब 55 के आस-पास होगी। मुझे लगा ये तो बूढ़े हैं, ये मेरा पीछा क्यों करेंगे। वैसे वे अच्छे परिवार और एजुकेटेड लग रहे थे। मुझे लगा कोई और लड़का होगा जो मेरे पीछे की तरफ पलटते ही छिप गया होगा। खैर मैं तेजी से आटो स्टैंड की तरफ बढ़ी और आटो में बैठ गई। अचानक मेरी नजर उन्हीं अंकल पर पड़ी, खैर मुझे इससे क्या? लेकिन शायद वे समझ गए थे कि मेरे मन में यही ख्याल आया था कि इन्हें तो मैंने मार्केट में देखा था। 10 मिनट के बाद आटो चला। थोड़ी देर बाद मुझे ऐसा लगा कि कोई चीज मेरी पीठ पर चल रही है, फिर उसी क्षण यह भी ख्याल आया अरे मेरी तो आदत हैं बेवजह सनके की।  सो मैं चुप बैठ गई, लेकिन कुछ देर बाद फिर से मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरी पीठ पर अपने हाथ को धीरे-धीरे चला रहा है।
थोड़ा सा डरते हुए और खुद को सजग करते हुए मैं सीट से थोड़ा आगे की तरफ खिसक गई, ताकि जो भी हो उसका हाथ मुझ तक न आ सके। बहुत तेज से गुस्सा आ रहा था मुझे, क्योंकि मुझे लगा कि मेरे बगल में जो लड़का बैठा वहीं बदमीजी कर रहा है। इसके पहले कि मैं उससे कुछ कहती, मैंने देखा कि उसने अपने दोनों हाथों से आटो में आगे की ओर लगी छड़ी को पकड़ कर रखा है। फिर मुझे लगा ये नहीं है तो कौन है? अंधेरे में न तो कुछ समझ आ रहा था और न ये समझ आ रहा था ये नहीं है तो कौन है, क्योंकि पीछे की सीट में केवल मैं ही लड़की थी और अंकल के अलावा दो लड़के। अंकल के बारे में मेरे मन में एक बार भी खयाल नहीं आया। इसी उधेड़बुन में थी कि मेरी नजर अंकल पर पड़ी। मैंने देखा कि  उन्होंने अपना पीछे वाला हाथ मेरी पीठ पर रखा हुआ था। एक तो अंधेरा दूसरा उनकी उम्र की वजह से मेरे मन में एक बार भी उनके बारे में खयाल नहीं आया था , कि ऐसी गिरी हुई हरकत वो कर सकते हैं। लेकिन उनका हाथ अपने पीठ पर देखते ही मैंने गुस्साते हुए बोला, अंकल आप सही से बैठिए। अनजान बनते हुए वह बोले, क्या हुआ बेटा मैं तो सही से बैठा हूं। आप सही से नहीं बैठे हैं तभी मैं कह रही हूं, अपनी उम्र का कुछ तो लिहाज करें आग उगलते हुए सारी भड़ास मैंने निकाल दी। कैसी बात करती हो बेटा,मैं तुम्हारे पिता की उम्र का हूं  और मेरी भी बेटी है मैं ऐसा क्यों करूंगा? कुछ तो सोच कर बोला करो। अंकल मैं ऐसी नहीं बोल रही हूं , पूरे रास्ते आपने मुझे परेशान किया है। ज्यादा करेंगे तो मैं अभी पब्लिक और पुलिस को बुलाऊंगी।
अच्छा तो ये बात थी, मीनाक्षी ने गहरी सांस लेते हुए बोला। एक बात और आयुषी बीच में ही उसकी बात काटते हुए बोली। क्या ? फिर क्या किया उस बूढ़े खुसठ ने, मीनाक्षी को भी उस सो कॉल्ड अंकल पर गुस्सा आ चुका था। आटो वाले को जब मैं पैसे दे रही तो वह भी उतर पड़े और जाते-जाते वह अंकल बोले कि  मर्द और शेर कभी बूढ़े नहीं होते, वह ताउम्र जवान रहता है। मेरे बारे में सोचना जरूर कल फिर मिलूंगा।
यार मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है,समझ नहीं आ रहा है मैंने उस अंकल क्यों छोड़ दिया दो थप्पड़ रसीद करने चाहिए थे,उन्हें अपनी उम्र तो याद आ ही जाती। अरे आयुषी, तू अपना खून क्यों जला रही है? इससे कुछ नहीं होने वाला है सभी आदमियों की सोच एक सी होती है उनको यही लगता है कि  वह न तो कभी बूढ़े होते हैं और न ही बदसूरत होते हैं। इनकी सोच नहीं बदली जा सकती।
मीनाक्षी का कहना बिल्कुल सही है पुरूष प्रधान समाज में वह यह कभी नहीं बर्दाश्त कर सकते कि कोई लड़की यह कहें कि आप बूढ़े हो चुके हैं या फिर वह देखने में अच्छा नहीं है। लड़का चाहे कितना ही खराब हो फिर चाहे वह उसकी शिक्षा, व्यवहार या रंग-रूप किसी भी मामले में लड़की से पीछे हो उन्हें लड़की विश्वसुंदरी ही चाहिए। जो लड़कियां देखने सुनने में कम अच्छी होती हैं, उनके लिए तो ऐसे गंदे शब्द यूज करते हैं कि जैसे भगवान ने बहुत बड़ी गलती कर दी है उसे इस दुनिया में भेजकर। यह बात सही है कि सामाजिक बदलाव के साथ लड़को की सोच थोड़ा सा बदली है, लेकिन जब मैरिज की बात आती है तो ज्यादातर इस बात पर रिश्ता तय करने से मना कर देते हैं कि फलां लड़की की हाइट कम है, कि उसकी नाक अच्छी नहीं है, बहुत मोटी है या उसके शरीर में कुछ है ही नहीं। कई बार तो अपने फैं्रड्स को फोटो दिखाते हैं और पूछते हैं बता, तेरी भाभी बनने लायक है या नहीं।
अभी   हाल की बात है मेरी फ्रेंड संयोगिता का भाई राघव जो देखने में कोई खास नहीं था, हां थोड़ा सा बातचीत में लग रहा था कि ठीक है। उसकी शादी की बात चल रही थी, मेरी फ्रेंड ने उसे कुछ फोटो दिखाई। देख! भाई, मां ने तेरे लिए कुछ फोटो भेजी हैं इनमें से जो लड़की तुझे पसंद हो बता। बड़े ही उत्सकता से फोटो देखी और चिढ़चिढ़ाते हुए बोला क्या दीदी मां को कोई और लड़की नहीं मिली। यह भी कोई लड़की एक तो सांवली , ऊपर से इसके होंठ देखिए कितने मोटे हैं। मैं इससे शादी करूंगा, किसी कीमत पर नहीं। संयोगिता ने जैसे ही यह बात सुनी गुस्साते हुए बोली तू ही कौन सा कोहिनूर है जो तेरे लिए  हूर की परी के रिश्ते आएंगे। पहले तू अपनी शक्ल देख बात में लड़कियों की बात कर मेरे से। यह सुनते ही राघव लाल-पीला हो गया। देखो दीदी आप मेरे से बड़ी हो इसका मतलब यह नहीं है कि आप मेरा मजाक उड़ाए। वैसे भी यह कहां लिखा है कि लड़के देखने में खराब होते हैं। वह चाहे जैसे हो हमेशा जवान और बढ़िया होते हैं। लड़कियां की उम्र और सुंदरता जरूर मायने रखती है। आखिर हम लड़को के शान की बात जो होती है। मैं तो खूबसूरत लड़की से ही शादी करूंगा, ताकि लोग कहें कि राघव की बीवी है।
यह हैं पुरूष प्रधार समाज की असली कहानी जो खुद को कभी भी बूढ़ा और बदसूरत नहीं मानते। अगर आपने कह दिया कि आप बूढ़े हो या किसी लड़के से कह दो कि तुम देखने में बिल्कुल अच्छे नहीं लगते हो। तुमसे कोई सुंदर लड़की शादी नहीं करेगी। समझो उसके सबसे बड़े दुश्मन आप ही होगे। यह ऐसी सोच है जो पुरूष के दिमाग में हमेशा हावी रहेगी क्योंकि शेर और मर्द न तो बूढ़े होते हैं और न बदसूरत....